पोखरी छ, पानी छैन, शारीर छ, जवानी छैन, मौन रहन देऊ शब्दहरु घटना छ, कहानी छैन, सबै चोरी दकैती नहोस् कीन भोक छ खाना छैन | बालुवामा महल बनाउने अनुभन छ, बनी छैन, सूत तिमी सूत, भर्खर त मिर्मिरे छ, बिहानी छैन, निंद्रा पनी लागोस कसरी बिस्तरा छ, सिरानी छैन | कलकार्खाना चलुन कसरी जहाँ तै तार छ बीजुली छैन माया जीन्दगी भरीको कसरी हुनु बोली मा छ मनमा छैन ...... जन्ता लाई गारो नहोस् किन देस छ शान्ति छैन |
Tuesday, October 18, 2011
के छ के छैन ..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment